Sirf Itna Hi Kaha Hai, Pyaar Hai Tum se
Jazbaton Ki Koi Numayish Nahin Ki
Pyaar Ke Badle Sirf Pyaar Manga Hai
Rishte Ki To Koi Guzarish Nahin Ki
Chaho To Bhula Dena Humein Dil Se
Sada Yaad Rakhney Ki Sifarish Nahin Ki
Khamoshi Se Toofan Seh Letey Hai Jo
Un Baadlon Ne Izhar Ki Baarish Nahin Ki
Tumein Hi Mana Hai Rehnuma Apna
Aur to kisi Cheez Ki Khwahish Nahin ki
Monday, October 12, 2009
Wednesday, October 7, 2009
वो भूखा था फिर भी लड़ता था...
वो भूखा था फिर भी लड़ता था...
वो घायल था फिर भी बढ़ता था
लिए ज़ख्म जिस्म पे अपने
वो आगे ही आगे बढ़ता था
पथरीली चट्टानों पर
लिए बन्दूक कंधो पर
दुर्गम से दुर्गम पथ पर
वो न थकता था न रुकता था
बस आगे ही आगे वो बढ़ता था
तूफानी नदियों में
बर्फीली तुफानो में
बस वो मुस्कुराता रहता था
कभी बनता सहारा पल भर का ..
कभी किसी की जान बचाता
वो मसीहा सा लगता था
वो एक फौजी था जो बस
आगे ही आगे बढ़ता जाता था
खून से सने वर्दी में
वो जो कदरदान था तिरंगे का
न थकता था चिलचिलाती धुप में
लगा सर पे टोपी
बस ख्वाब अमन का देखता था
वो भूखा था फिर भी लड़ता था
भूल गया था उस मासूम को
अपने एकलोते नए प्यार को
माँ बाप भी याद नहीं है उसको
याद करता है बस भारत माँ को
सामने दुश्मन के वो तूफान
कभी मासूम कभी हैवान
दुम हिलाता था दुश्मन भी
जब शेर बन वो दहाड़ता था
बस वो लड़ता ही जाता था
वो बस बढ़ता ही जाता था ......
"जय जवान "
है लिए हाथ में हथियार दुश्मन तक में बैठा उधर
और हम तैयार है सीना लिए अपना इधर
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुस्किल में है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
हाथ जिनमे हो जूनून कटते नहीं तलवार से
सर जो उठ जाते है वो झुकते नहीं ललकार से
और भड़केगा जो शोला सा हमारे दिल में है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
हम तो घर से निकले ही थे बांध कर सिर पर कफ़न
ज़िन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की मह
वो घायल था फिर भी बढ़ता था
लिए ज़ख्म जिस्म पे अपने
वो आगे ही आगे बढ़ता था
पथरीली चट्टानों पर
लिए बन्दूक कंधो पर
दुर्गम से दुर्गम पथ पर
वो न थकता था न रुकता था
बस आगे ही आगे वो बढ़ता था
तूफानी नदियों में
बर्फीली तुफानो में
बस वो मुस्कुराता रहता था
कभी बनता सहारा पल भर का ..
कभी किसी की जान बचाता
वो मसीहा सा लगता था
वो एक फौजी था जो बस
आगे ही आगे बढ़ता जाता था
खून से सने वर्दी में
वो जो कदरदान था तिरंगे का
न थकता था चिलचिलाती धुप में
लगा सर पे टोपी
बस ख्वाब अमन का देखता था
वो भूखा था फिर भी लड़ता था
भूल गया था उस मासूम को
अपने एकलोते नए प्यार को
माँ बाप भी याद नहीं है उसको
याद करता है बस भारत माँ को
सामने दुश्मन के वो तूफान
कभी मासूम कभी हैवान
दुम हिलाता था दुश्मन भी
जब शेर बन वो दहाड़ता था
बस वो लड़ता ही जाता था
वो बस बढ़ता ही जाता था ......
"जय जवान "
है लिए हाथ में हथियार दुश्मन तक में बैठा उधर
और हम तैयार है सीना लिए अपना इधर
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुस्किल में है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
हाथ जिनमे हो जूनून कटते नहीं तलवार से
सर जो उठ जाते है वो झुकते नहीं ललकार से
और भड़केगा जो शोला सा हमारे दिल में है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
हम तो घर से निकले ही थे बांध कर सिर पर कफ़न
ज़िन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की मह
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